Puri Jagannath Temple: जगन्नाथ पुरी मंदिर का इतिहास और महिमा

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Jagannath Puri Temple: जगन्नाथ पुरी मंदिर भारत के ओडिशा राज्य में स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है। यह मंदिर भगवान जगन्नाथ, उनकी बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र को समर्पित है। यह स्थान चार धामों में से एक है और हिंदू धर्म के सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक माना जाता है। पुरी का यह मंदिर अपनी ऐतिहासिक, धार्मिक, सांस्कृतिक और वास्तुकला की विशेषताओं के लिए विश्व प्रसिद्ध है।

मंदिर का इतिहास

जगन्नाथ मंदिर का इतिहास प्राचीन काल से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में गंगा वंश के राजा अनंतवर्मन चोडगंग देव द्वारा कराया गया था। हालांकि, इसके पहले भी यहां भगवान जगन्नाथ की पूजा होती थी।
इस मंदिर के निर्माण का उल्लेख स्कंद पुराण, ब्रह्म पुराण और अन्य पौराणिक ग्रंथों में मिलता है। किंवदंती है कि भगवान विष्णु के इस रूप की स्थापना स्वयं इंद्रद्युम्न राजा ने की थी। भगवान जगन्नाथ की मूर्ति नीलमाधव के रूप में जानी जाती थी और इसे एक रहस्यमयी लकड़ी से बनाया गया था, जिसे “दारु ब्रह्म” कहा जाता है।

मंदिर की वास्तुकला

जगन्नाथ मंदिर की वास्तुकला कलिंग शैली में बनी हुई है। यह विशाल मंदिर 65 मीटर ऊंचा है और चार प्रमुख हिस्सों में विभाजित है:

  1. विमान: यह मुख्य संरचना है, जहां भगवान की मूर्तियां स्थापित हैं।
  2. जगमोहन: यह मुख्य सभागृह है।
  3. नाट मंडप: यहां धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन होते हैं।
  4. भोग मंडप: यहां भगवान के लिए प्रसाद तैयार किया जाता है।
    मंदिर के ऊपर स्थित नीलचक्र भगवान जगन्नाथ का प्रतीक है और इसे हर भक्त बड़ी श्रद्धा से देखता है।

मूर्ति की विशेषताएं

भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की मूर्तियां सामान्य मूर्तियों से अलग हैं। ये मूर्तियां काले, सफेद और पीले रंग की लकड़ी से बनाई गई हैं। कहा जाता है कि हर 12 या 19 साल के अंतराल पर इन मूर्तियों को एक विशेष अनुष्ठान के दौरान बदला जाता है। इसे “नवकलेवर” कहते हैं।

रथ यात्रा का महत्व

जगन्नाथ पुरी की रथ यात्रा दुनिया भर में प्रसिद्ध है। यह वार्षिक उत्सव भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा और बलभद्र के रथों पर सवार होकर गुंडिचा मंदिर की यात्रा का प्रतीक है। इस अवसर पर लाखों भक्त पुरी पहुंचते हैं और भगवान के रथ को खींचने का सौभाग्य प्राप्त करते हैं। रथ यात्रा की भव्यता और धार्मिक महत्व इसे विश्व स्तर पर अनोखा बनाते हैं।

महाप्रसाद का महत्व

जगन्नाथ मंदिर में प्रसाद का बहुत महत्व है। इसे “महाप्रसाद” कहा जाता है और यह न केवल मंदिर के भीतर बल्कि पूरे पुरी में भक्तों के बीच वितरित किया जाता है। महाप्रसाद तैयार करने की प्रक्रिया भी बहुत खास है। इसे मिट्टी के बर्तनों में लकड़ी के चूल्हे पर पकाया जाता है।

मंदिर से जुड़ी मान्यताएं और रहस्य

जगन्नाथ मंदिर से जुड़ी कई रहस्यमय और अद्भुत बातें हैं:

  1. ध्वजा की दिशा: मंदिर के ऊपर लहराती ध्वजा हमेशा हवा के विपरीत दिशा में लहराती है।
  2. नीलचक्र: मंदिर के ऊपर स्थित नीलचक्र को किसी भी दिशा से देखने पर ऐसा लगता है कि वह हमेशा आपको देख रहा है।
  3. समुद्र की आवाज़: मंदिर परिसर के भीतर समुद्र की लहरों की आवाज़ नहीं सुनाई देती।
  4. छाया का अभाव: मंदिर के मुख्य गुंबद की छाया दिन के किसी भी समय जमीन पर नहीं गिरती।

धार्मिक महत्व

जगन्नाथ मंदिर हिंदू धर्म के चार धामों में से एक है। बद्रीनाथ, रामेश्वरम और द्वारका के साथ यह तीर्थ हिंदुओं के लिए मोक्ष प्राप्ति का प्रमुख मार्ग माना जाता है। यहां आने वाले भक्तों का मानना है कि भगवान जगन्नाथ उनके सभी पापों को हर लेते हैं और उन्हें मोक्ष प्रदान करते हैं।

सांस्कृतिक और सामाजिक योगदान

जगन्नाथ मंदिर न केवल धार्मिक केंद्र है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और परंपरा का प्रतीक भी है। यह मंदिर कला, संगीत, और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देता है। साथ ही, यह विभिन्न जातियों और धर्मों के लोगों को एकसाथ लाने का कार्य करता है।

आधुनिक युग में महत्व

आज भी जगन्नाथ पुरी मंदिर लाखों भक्तों के लिए आध्यात्मिकता और आस्था का केंद्र है। भारतीय पर्यटन में इसका एक प्रमुख स्थान है और यह विश्व धरोहर स्थल बनने की क्षमता रखता है।
पुरी के इस मंदिर ने न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व में अपने धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को स्थापित किया है।

जगन्नाथ पुरी मंदिर भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता का प्रतीक है। यह मंदिर न केवल भगवान जगन्नाथ के प्रति श्रद्धा को दर्शाता है, बल्कि भारतीय वास्तुकला और परंपरा का जीवंत उदाहरण भी है। यह स्थान हर भक्त के लिए जीवन में एक बार अवश्य देखने योग्य है। जगन्नाथ मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह आस्था, प्रेम और एकता का केंद्र भी है।

Disclaimer : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.