Chakradhar Samaroh 2024: चक्रधर समारोह के मंच को पद्मश्री से सम्मानित 7 विभूतियां करेंगी सुशोभित

Chakradhar Samaroh 2024: 7 Padma Shri honored personalities will grace the stage of Chakradhar ceremony

Chakradhar Samaroh 2024: चक्रधर समारोह फिर से अपने पुराने वैभव और गरिमा के साथ आयोजित होने जा रहा है। 10 दिवसीय कला महोत्सव की रूप रेखा तैयार की जा चुकी है। नामचीन कलाकार अपने हुनर के प्रदर्शन के लिए रायगढ़ पहुंचने वाले हैं। चक्रधर समारोह का मंच कला जगह में अपनी विशिष्ट ख्याति रखता है। पिछले कुछ वर्षाे के दौरान कोविड महामारी के चलते समारोह वृहत स्तर पर आयोजित नहीं किया जा सका था। इस बार के आयोजन में एक खास बात और शामिल है। इस वर्ष भारत सरकार के चौथे सर्वाेच्च नागरिक सम्मान पद्मश्री से सम्मानित 7 विभूतियां रायगढ़ चक्रधर समारोह के मंच को सुशोभित करेंगी।

   Padma Shri Hema Malini जो भारतीय सिनेमा की एक प्रमुख और बहु-प्रतिभाशाली अभिनेत्री हैं, अपने भरतनाट्यम नृत्य के लिए भी जानी जाती हैं। उन्हें भारतीय कला और संस्कृति को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण योगदान के लिए जाना जाता है। भरतनाट्यम, जो एक प्राचीन और शास्त्रीय नृत्य शैली है, में हेमा मालिनी की निपुणता और दक्षता अद्वितीय है। उनके नृत्य की विशेषताएँ उनकी उत्कृष्ट तकनीक, भाव-प्रकटीकरण और मंच पर उनकी उपस्थिति में स्पष्ट रूप से देखी जा सकती हैं। उन्होंने न केवल अपनी कला को फिल्मों के माध्यम से प्रस्तुत किया, बल्कि शास्त्रीय नृत्य की कला को भी पूरे देश और विदेश में लोकप्रिय बनाया। उन्होंने कई महत्वपूर्ण नृत्य प्रस्तुतियाँ की हैं, जिनमें भारतीय पौराणिक कथाओं और धार्मिक कथाओं का सुंदर चित्रण होता है। उनके प्रदर्शन में नृत्य की विभिन्न मुद्राओं और भावनाओं का अभिव्यक्ति, दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देती है। उनकी नृत्य साधना और कला के प्रति समर्पण ने उन्हें न केवल सिनेमा की दुनिया में, बल्कि शास्त्रीय नृत्य की दुनिया में भी एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया है। उन्हें वर्ष 2000 में चौथे सर्वाेच्च नागरिक सम्मान पद्मश्री से सम्मानित किया गया है।

 Padmashree Ramlal Bareth– इन्होंने रायगढ़ कत्थक शैली को विकसित करने और कत्थक को घराने के रूप में स्थापित करने के लिए अपना जीवन समर्पित किया है। रायगढ़ कत्थक शैली को लोकप्रिय बनाने में पंडित रामलाल बरेठ का बहुत बड़ा योगदान है। उनके अथक प्रयास से रायगढ़ कत्थक शैली को रायगढ़ घराना के नाम से जाना जाता है। रायगढ़ घराना पूरी दुनिया में चौथे कत्थक घराने के रूप में प्रसिद्ध है।

    पंडित रामलाल को 1996 में भारत के माननीय राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा ने भारत के राष्ट्रीय सम्मान संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया है। उन्हें वर्ष 2024 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया है।

Padmashree Kumari Devyani अनिक शेमोटी, जिन्हें मंच नाम कुमारी देवयानी के रूप में जाना जाता है, एक भारतीय नृत्यांगना हैं, जो भारतीय शास्त्रीय नृत्य शैली भरतनाट्यम में प्रदर्शन करती हैं। उन्होंने भारत के साथ-साथ ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, स्पेन, इटली, ग्रीस, पुर्तगाल, स्कैंडिनेवियाई देशों, एस्टोनिया और दक्षिण कोरिया के त्योहारों और संगीत हॉल में प्रदर्शन किया है। देवयानी भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) की सूचीबद्ध कलाकार हैं। 2009 में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।

Padmashree Dr.Bharti Bandhu एक भारतीय संगीतकार और गायक हैं, जिनके कबीर भजन बहुत प्रसिद्ध हैं। वे छत्तीसगढ़ के रायपुर में पैदा हुए थे। भारती बंधु ने देश दुनिया भर में हजारों प्रस्तुतियां दी हैं। उन्हें संगीत के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए राज्य अलंकरण से सम्मानित किया गया था। उन्हें राजा चक्रधर सम्मान से भी सम्मानित किया गया है। वे भारत में सूफी और कबीर संगीत के प्रतीक हैं। उन्हें वर्ष 2013 में पद्मश्री से नवाजा गया है।

Padmashree Anuj Sharma– छत्तीसगढ़ी सिनेमा और कला क्षेत्र में ख्यात्तिलब्ध व्यक्तित्व श्री अनुज शर्मा को उनके निर्देशनए अभिनय और गायन में उनकी प्रतिभा के लिए जाना जाता है। कला के क्षेत्र में उनकी सेवाओं के लिए उन्हें भारत सरकार द्वारा 2014 में चौथे सर्वाेच्च नागरिक पुरस्कार पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।

Padmashree Dr.Surendra Dubey– डॉ.सुरेंद्र दुबे अपनी हास्य कविताओं के लिए पूरे देश दुनिया में प्रसिद्ध हैं। वे वह पेशे से एक आयुर्वेदिक चिकित्सक भी हैं। प्रदेश की बोली और संस्कृति को उन्होंने विभिन्न राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय मंचों से बढ़ावा दिया है। उन्हें भारत सरकार द्वारा 2010 में देश के चौथे उच्चतम भारतीय नागरिक पुरस्कार  पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।

Padmashree Ranjana Gauhar– प्रसिद्ध ओडिसी नृत्यांगना, कोरियोग्राफर तथा फिल्म निर्मात्री हैं। उन्हे पद्मश्री व संगीत नाटक अकादमी के पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है। वह ओडिसी नृत्य के संदर्भ में एक किताब (ओडिसी द डांस डिवाइन) भी लिख चुकी हैं। श्रीमती रंजना गौहर को 2003 में भारत के राष्ट्रपति द्वारा प्रतिष्ठित पद्मश्री और 2007 में राष्ट्रीय संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित  किया गया है।